Krishan Kanhayi Jasoda Ke Ghar
M.G. Sreekumar
किशन कन्हाई जशोदा के घर आनंद घनो बरसावे
जनम दाइिनी मुख देखन को तरस तरस रह जाए
किशन कन्हाई जशोदा के घर आनंद घनो बरसावे
अपनी सूत का चित बनाती मन ही मन अनुमान लगाती
कितना बड़ा हो गया हो गा लल्ला खड़ा हो गया होगा
अब तो पाव चलता होगा गिरता और संभलता होगा
मैया के संग जशोदा के आँगन मे दौड़ लगता होगा