Jab Se Hua Re Tera Bal Roop Darshan
Traditional
जब से हुआ रे तेरा बाल रूप दर्शन
मैं अपनी सुध बुध गावै बैठा
त्रिभवन के नाथ सारा जग तेरे साथ
आ तू मेरे हाथो मैं आये बैठा
कंचन पे बड़ा उपकार किया
निजपत सेवा का अवसर मोहे दिया
मीठी सुघढ़ अनिभूतियो को
मेरी मानस पटल पे सजाये बैठा
तेरी ऐसी कृ
तब मैं धन्य हुआ जीवन सफल हुआ