Kia Kehna

Mujtaba Sunny

किसी की बस ज़रा सी
बेवफाई मार देती हैं
मोहब्बत में ना सोचा था
जुदाई मार देती हैं

क्या कहना सब मुनासिब था
समझ लेते ना आँखों से
क्या कहना सब मुनासिब था
समझ लेते ना आँखों से
थे दस्तक दे रहे आंसूं
तेरे दिल के दरीचों से
की खुश फेहमी ना जाने क्युँ
मेरा सब कुछ तुम्ही से हैं
पलट कर तुम भी ना देखो
यक़ीनन फिर कमी सी हैं
उलझ कर भी मिला कुछ ना
मुझे अपने नसीबों से
जो तुम ही ना हुए अपने
क्या लेना फिर रकीबों से

हैं रोना उम्र भर मैंने
जुदा हस कर किया तूने
वफ़ा की बात करते थे
दिया कैसा देगा तूने
हुए आदि तुम्हारे जो
मोहब्बत छोड़ दी तूने
मगर ये एध करते हैं
जुदाई हम निभाएंगे
किसी पे मार के भी
जीते हैं कैसे ये दिखाएंगे
दिए भी तो दिए कैसे
ये तुमने ज़ख़्म काटों से
फिकट तुझको ही दिखने हैं
हुआ कुछ ना तबीबों से

किया था इस्तखरा तो
तेरी उल्फत को देखा था
मैं सीधा इश्क़ पे पहुंचा
मोहब्बत को ना देखा था
कनारे पर लगा कर क्यूँ
कनारा हमसे कर बैठे
तकारे तेरी चाहत के
अधूरे थे जो कह देते
यूँ जाना छोड़ कर तेरा
यूं ही चुप चाप सह लेते
ना होते दर बदर तुझमे
ना होते हम मशीरों से
लिखा था साथ बस इतना
समझ लेते लकीरों से
क्या कहना सब मुनासिब था
समझ लेते ना आँखों से

Curiosità sulla canzone Kia Kehna di Rahat Fateh Ali Khan

Chi ha composto la canzone “Kia Kehna” di di Rahat Fateh Ali Khan?
La canzone “Kia Kehna” di di Rahat Fateh Ali Khan è stata composta da Mujtaba Sunny.

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