Nayi Shuruaat

Ashish Pandit

मायूसी की इन रातों को
एक नयी सुबह दे
मायूसी की इन रातों को
एक नयी सुबह दे

चलो आज फिर से खुद को
जीने की इक नयी वजह दे
मायूसी की इन रातों को
एक नयी सुबह दे

धुंदली सी है तसवीरें
धुंदली सी है तसवीरें
खोया हुआ है
ये ज़मीन तनहा है ये जहां

उलझी हुई है हर ज़िन्दगी
फिर से इसे सुलझा दे
चलो आज फिर से खुद को
जीने की एक नयी वजह दे

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