Ki Farak Painda Hai

Amitabh Bhattacharya

अयी ययी यैया करम की दुनिया में
कोई धरम क्या चुनता है
भैया की फरक पैंदा ऐ
मामा मिया कोई पढ़ता कलमा
कोई कीर्तन सुनता है
हां जी की फरक पैंदा ऐ

हाँ चेहरों में चेहरा
हर फ्लेवर का मिलता है
लहजा भी हर खुशबू
हर फ्लेवर का मिलता है
आपस में सब ख़न ख़न
करते हैं बर्तन जैसे
अपना तो ख़न ख़न से भी
म्यूज़िक बनता है

सुनी भैया इतनी आबादी में
भैया इतना तो चलता है
हां जी की फरक पैंदा ऐ

धूप किसी का कभी
मज़हब कहाँ पूछती है
इक जैसी सब की है
कौम किसी की क्या है
बरखा कहाँ सोचती है
हर आंगन गिरती है
हुआ तो क्या कोई अगर
गोरा या काला
मज़हब या मिज़ाज या
या गुरूर वाला
ज़रा सा तो मिलेगा ही
सभी में अंतर
मेहरबान सभी पे है
ऊपरवाला

सोचो मियां कौन कम या ज़्यादा
कोई कैसे तय करता है
जी की फरक पैंदा ऐ

कोई गंगा में नहाए
की फरक पैंदा
या फिर कोई हज को जाए
की फरक पैंदा
कोई लंगर खाना चाहे
की फरक पैंदा
या क्रिसमस कैरोल गाना चाहे
की फरक पैंदा
हर कोई है बंदा रब का
लहू रगों में एक है सबका
काहे की इतनी हिंसा है
आखिर हम सब ही इंसान है
की फरक पैंदा ऐ
की फरक पैंदा ऐ
की फरक पैंदा ऐ
भैया की फरक पैंदा ऐ

Curiosità sulla canzone Ki Farak Painda Hai di Pritam

Chi ha composto la canzone “Ki Farak Painda Hai” di di Pritam?
La canzone “Ki Farak Painda Hai” di di Pritam è stata composta da Amitabh Bhattacharya.

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