उडी
Prateek Kuhad
बातें गुब्बारों से यहाँ वहां उडी
आँखें कतारों से कहाँ कहाँ जुडी
चले जाये हाथों में लेके शामे चले जाये
सुबहे सवालों के जहाँ तहाँ खिली
रातें जवाबो के कही नहीं मिली
चले जाये ख़्वाबों में लेके राहें
चले जाये
चले जाये ख्वाबों में लेके राहें
चले जाये