Tere Hi Hum
कैसे बदलते, कैसे गुज़रते दिन
कैसे क़दर थे, फ़िर भी है संग ये दिल
क्या ही बताऊँ, मेरी ये राहें हैं
क्या ही कहूँ मैं, ज़ाहिर है ये
तेरे ही हम हैं
क्या ये प्यार कम है
हाँ, हीं तेरे नाम हम हैं
अर्ज़ है किया
है मेरी आदत
रूह का साज़ ग़म है
तेरे ही तो साथ मन है
माने ना जिया
दर्द नहीं तो सर्द है तेरे बिन
क्यूँ है ख़फ़ा यूँ? तू ही तो है मंज़िल
कैसी इबादत, पैरों सियाही है
मेरे क़लम की तू ही कहानी है
इन ख़्वाहिशों में खोया हुआ हूँ
इन ज़ख़्म ख़ातिर मेरी सुनो
तेरे ही हम हैं
क्या ये प्यार कम है
हाँ, हीं तेरे नाम हम हैं
अर्ज़ है किया
है मेरी आदत
रूह का साज़ ग़म है
तेरे ही तो साथ मन है
माने ना जिया
इन ख़्वाहिशों में खोया हुआ हूँ
इन ज़ख़्म ख़ातिर मेरी सुनो
तेरे ही हम हैं
क्या ये प्यार कम है
हाँ, हीं तेरे नाम हम हैं
अर्ज़ है किया
है मेरी आदत
रूह का साज़ ग़म है
तेरे ही तो साथ मन है
माने ना जिया, माने ना जिया