Shehron Ke Raaz
Prateek Kuhad
कैसे ये दिन, कैसी ये रात है
बस मैं और तुम इस पल में साथ हैं
तुम जो कहो तो बातें भी ख़ास हैं
तुम जो सुनो तो अँधेरे में साँस है
बदली ये धुन, बदली ये राह है
बस मैं और तुम शहरों के राज़ हैं
तुम ही से दिल में आई ये आग है(तुम ही से दिल में आई ये आग है)
तुम ही से मन में आए एहसास हैं(तुम ही से मन में आए एहसास हैं)
अब मैं और तुम शहरों के राज़ हैं
अब मैं और तुम शहरों के राज़ हैं