Deke Pyar Diye Kyon Rabba
Khaiyyaam, Naqsh Lyallpuri
देके प्यार दिए क्यों रब्बा
रोग जुदाई वाले
आंसू बनकर फूट पड़े है
मेरे दिलके छाले
कोई मेरा हाल न पूछे
मेरा दर्द न बांटे
मेरी रूह में टूटें ग़म के
सो ज़हरीले कांटे
जितना सोचो उतनी उलझन
क्या होंगी तदबीरें
पल पल और उलझती जाए
साँसों की जंजीरे
वह भी रूठा जिसके खातिर
मैंने आफत झेली
यादों के जंगल में भटके
मेरी जान अकेली
हम को क्या तक़्दीर मिली हैं
जीकर जीना पाए
बेबस हो कर मरना चाहें
बैरन मोत न आये
देके प्यार दिए क्यूँ रब्बा
रोग जुदाई वाले
आंसू बनकर फूट पड़े हैं
मेरे दिलके छाले