Hum Jaise Tanha Logon Ka
जो पुचछता है कोई सुर्ख
क्यों है आज आँखें
तो आँख मलके मैं
कहता हूँ रात सो ना सका
हज़ार चाहु मगर यह
ना कह सकूँगा कभी
के रात रोने की ख्वाहिश थी
मगर रो ना सका
हम जैसे तन्हा लोगों का
अब रोना क्या मुस्काना क्या
हम जैसे तन्हा लोगों का
अब रोना क्या मुस्काना क्या
जब चाहनेवाला कोई नहीं
जब चाहनेवाला कोई नहीं
फिर जीना क्या मार जाना क्या
हम जैसे तन्हा लोगों का
अब रोना क्या मुस्काना क्या
सौ रंग में जिसको सोचा था
सौ रूप में जिसको चाहा था
सौ रंग में जिसको सोचा था
सौ रूप में जिसको चाहा था
सौ रूप में जिसको चाहा था
वो जाने गाज़ल तो रूठ गयी
अब उसका हाल सुनाना क्या
वो जाने गाज़ल तो रूठ गयी
अब उसका हाल सुनाना क्या
जब चाहनेवाला कोई नहीं
जब चाहनेवाला कोई नहीं
फिर जीना क्या मार जाना क्या
हम जैसे तन्हा लोगों का
अब रोना क्या मुस्काना क्या
आवाज़ किसिको दे लेकिन
एक नाम तुम्हारा होंतों पर
आवाज़ किसिको दे लेकिन
एक नाम तुम्हारा होंतों पर
एक नाम तुम्हारा होंतों पर
हर शकल से उभरो तुम ही तुम
यूँह खुद को मगर बहलाना क्या
हर शकल से उभरो तुम ही तुम
यूँह खुद को मगर बहलाना क्या
जब चाहनेवाला कोई नहीं
जब चाहनेवाला कोई नहीं
फिर जीना क्या मार जाना क्या
हम जैसे तन्हा लोगों का
अब रोना क्या मुस्काना क्या
राअतों का सफ़र है दिन के लिए
और दिल में तमन्ना रातों की
राअतों का सफ़र है दिन के लिए
और दिल में तमन्ना रातों की
और दिल में तमन्ना रातों की
जब पावं में रास्ते खो जाए
फिर रुकना क्या घर जाना क्या
जब पावं में रास्ते खो जाए
फिर रुकना क्या घर जाना क्या
जब चाहनेवाला कोई नहीं
जब चाहनेवाला कोई नहीं
फिर जीना क्या मार जाना क्या
हम जैसे तन्हा लोगों का
अब रोना क्या मुस्काना क्या
जब चाहनेवाला कोई नहीं
जब चाहनेवाला कोई नहीं
फिर जीना क्या मार जाना क्या
हम जैसे तन्हा लोगों का
अब रोना क्या मुस्काना क्या