Kati Hai Gham Ki Raat
कटी है गम की रात
बड़े एहतराम से
कटी है गम की रात
बड़े एहतराम से
अक्सर बूजा लिया है
चरगो को शाम से
रोशन हैं अपनी बज्मी
और इस्स एहतमाम से
कुछ दिल भी जल रहे हैं
चरगो के नाम से
कटी है गम की रात
बड़े एहतराम से
काटी तमाम उमराह
फरेबी बहार में
काटी तमाम उमराह
फरेबी बहार में
कांटे समेट ते रहे
फूलो के नाम से
कांटे समेट ते रहे
फूलो के नाम से
सुबाहे बहार हम को
गुलाबी राही मगरी
सुबाहे बहार हम को
गुलाबी राही मगरी
हम खेलते हैं
किसी जुल्फों की शाम से
कटी है गम की रात
बड़े एहतराम से
ये और बात है कि
अली हम ना सुन सके
ये और बात है कि
अली हम ना सुन सके
आवाज उसे दी है
हमीं हर मक़ाम से
आवाज उसे दी है
हमीं हर मक़ाम से
आवाज उसे दी है
हमीं हर मक़ाम से
आवाज उसे दी है
हमीं हर मक़ाम से