Qatil Hai Teri Har Ada
क़ातिल है तेरी हर अदा हर दिल है तुझ पर फिदा
राही अपनी मज़िल भूले देख के तेरा चेहरा
क़ातिल है तेरी हर अदा
प्यारी है तू इतनी खुदा भी तो चाहता होगा
हसी है तू खुदा भी तो मानता होगा
क़ातिल है तेरी हर अदा
छम छम चमके तेरा बदन यू सागर पर किर्ने
मुस्कानो मे मोटी छुपे है सिपो सी पलके
छम छम चमके तेरा बदन यू सागर पर किर्ने
मुस्कानो मे मोटी छुपे है सिपो सी पलके
महफ़िल मे है हर दिल मे है
महफ़िल मे है हर दिल मे है
तेरा ही जलवा
राही अपनी मज़िल भूले देख के तेरा चेहरा
क़ातिल है तेरी हर अदा
पंख नही है जिसके ऐसी तू है रूप पारी
जन्नत को क्यो छोड़ा तूने फलाक़ से क्यो उतरी
जब देखो तब करते है लब
जब देखो तब करते है लब
तेरा ही चरचा
राही अपनी मज़िल भूले देख के तेरा चेहरा
क़ातिल है तेरी हर अदा