Phir Na Kije Meri Gustakh Nigahi

Khaiyyaam, Sahir Ludhianvi

फिर ना कीजै मेरी गुस्ताख़ निगाहों का गिला
देखिये आप ने फिर प्यार से देखा मुझको
मैं कहाँ तक न निगाहों को पलटने देती
आप के दिल ने कई बार पुकारा मुझको

इस कदर प्यार से देखो ना हमारी जानी
दिल अगर और मचल जाये तो मुश्किल होगी
तुम जहाँ मेरी तरफ़ देख के रुक जाओगे
वोही मंजिल मेरी तक़दीर की मंजिल होगी
देखिये आप ने फिर प्यार से देखा मुझको
आप के दिल ने कई बार पुकारा मुझको

एक यूँहीं सी नजर दिल को जो छू लेती है
कितने अरमान जगा देती है तुम्हे क्या मालूम
रूह बेचैन है कदमों से लिपटने के लिये
तुमको हर साँस बुलाती है तुम्हे क्या मालूम
देखिये आप ने फिर प्यार से देखा मुझको
आप के दिल ने कई बार पुकारा मुझको

हर नज़र आप की जज़बात को उकसाती है
मैं अगर हाथ पकड़ लूं तो खफ़ा मत होना
मेरी दुनिया ए मोहब्बत है तुम्हारे दम से
मेरी दुनिया ए मोहब्बत से जुदा मत होना
देखिये आप ने फिर प्यार से देखा मुझको
आप के दिल ने कई बार पुकारा मुझको

Curiosità sulla canzone Phir Na Kije Meri Gustakh Nigahi di Mukesh

Chi ha composto la canzone “Phir Na Kije Meri Gustakh Nigahi” di di Mukesh?
La canzone “Phir Na Kije Meri Gustakh Nigahi” di di Mukesh è stata composta da Khaiyyaam, Sahir Ludhianvi.

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