Nazar Ko Sambhalo

Prem Dhawan

आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ

नज़र को सम्भालो ये क्या हो रहा है
नज़र को सम्भालो ये क्या हो रहा है
मेरा दिल ही मुझसे जुदा हो रहा है

आ हा आ हा आ आ आ आ
नज़र की ख़ता है ना दिल की ख़ता है
नज़र की ख़ता है ना दिल की ख़ता है
हमे भी पता है तुम्हे भी पता है
ये जादू था उलफत का जो चल गया है
जो होना था आख़िर वही हो रहा है
मेरा दिल ही मुझसे जुदा हो रहा है

नज़र को सम्भालो ये क्या हो रहा है
आ आ आ आ आ आ आ

बड़ी जा रही है मेरी बेकरारी
बड़ी जा रही है मेरी बेकरारी
ना थी दिल पे ऐसी तो बेइख़्तियारी
दिया दर्द जो भी नज़र मे तुम्हारी
वही दर्द बढ़के दवा हो रहा है
मेरा दिल ही मुझसे जुदा हो रहा है

नज़र को सम्भालो ये क्या हो रहा है

आ हा आ हा आ आ आ आ
मोहब्बत के शम्मा तो जलती रहेगी
मोहब्बत के शम्मा तो जलती रहेगी

दिलो की तमन्ना मचलती रहेगी
ये वो दास्ताँ है जो चलती रहेगी
जमाना तो यूही खफा हो रहा है
मेरा दिल भी मुझसे जुदा हो रहा है

नज़र को सम्भालो ये क्या हो रहा है (नज़र को सम्भालो ये क्या हो रहा है)

Curiosità sulla canzone Nazar Ko Sambhalo di Mukesh

Chi ha composto la canzone “Nazar Ko Sambhalo” di di Mukesh?
La canzone “Nazar Ko Sambhalo” di di Mukesh è stata composta da Prem Dhawan.

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