Mujhe Mere Haal Pe Chhod [Classic Revival]

SHANKAR JAIKISHAN, SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan

मुझे तुम से कुछ भी न चाहिये
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मेरा दिल अगर कोई दिल नहीं
उसे मेरे सामने तोड़ दो
उसे मेरे सामने तोड़ दो
मुझे तुम से कुछ भी न चाहिये

मैं ये भूल जाऊँगा ज़िंदगी
कभी मुस्कुरायी थी प्यार में
मैं ये भूल जाऊँगा ज़िंदगी
कभी मुस्कुरायी थी प्यार में
मैं ये भूल जाऊँगा मेरा दिल
कभी खिल उठा था बहार में
जिन्हें इस जहाँ ने भुला दिया
मेरा नाम उन में ही जोड़ दो
मेरा नाम उन में ही जोड़ दो
मुझे तुम से कुछ भी न चाहिये
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मुझे तुम से कुछ भी न चाहिये

तुम्हें अपना कहने की चाह में
कभी हो सके न किसी के हम
तुम्हें अपना कहने की चाह में
कभी हो सके न किसी के हम
यही दर्द मेरे जिगर में है
मुझे मार डालेगा बस ये ग़म
मैं वो गुल हूँ जो न खिला कभी
मुझे क्यों न शाख़ से तोड़ दो
मुझे क्यों न शाख़ से तोड़ दो
मुझे तुम से कुछ भी न चाहिये
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मुझे तुम से कुछ भी न चाहिये

Curiosità sulla canzone Mujhe Mere Haal Pe Chhod [Classic Revival] di Mukesh

Chi ha composto la canzone “Mujhe Mere Haal Pe Chhod [Classic Revival]” di di Mukesh?
La canzone “Mujhe Mere Haal Pe Chhod [Classic Revival]” di di Mukesh è stata composta da SHANKAR JAIKISHAN, SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan.

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