Manzil Ki Dhun Mein

Naushad, Shakeel Badayuni

मंज़िल की धुन मे झूमते गाते चले चलो
मंज़िल की धुन मे झूमते गाते चले चलो
बिछड़े हुए दिलों को मिलाते चले चलो
हाँ मिलाते चले चलो

दो दिन की ज़िंदगी में कोई क्यूँ उठाये ग़म
कोई क्यूँ उठाये ग़म
दो दिन की ज़िंदगी में कोई क्यूँ उठाये ग़म
कोई क्यूँ उठाये ग़म
नग़्में ख़ुशी के सब को सुनाते चले चलो
नग़्में ख़ुशी के सब को सुनाते चले चलो
बिछड़े हुए दिलों को मिलाते चले चलो
हाँ मिलाते चले चलो

इन्सानियत तो प्यार मोहब्बत का नाम है
मोहब्बत का नाम है
इन्सानियत तो प्यार मोहब्बत का नाम है
मोहब्बत का नाम है
इन्सानियत की शान बढ़ाते चले चलो
इन्सानियत की शान बढ़ाते चले चलो
बिछड़े हुए दिलों को मिलाते चले चलो
हाँ मिलाते चले चलो

आज़ाद ज़िंदगी है तो बर्बाद क्यूँ रहे
बर्बाद क्यूँ रहे
आज़ाद ज़िंदगी है तो बर्बाद क्यूँ रहे
बर्बाद क्यूँ रहे
बर्बादियों से दिल को बचाते चले चलो
बर्बादियों से दिल को बचाते चले चलो
बिछड़े हुए दिलों को मिलाते चले चलो
हाँ मिलाते चले चलो
मंज़िल की धुन मे झूमते गाते चले चलो
बिछड़े हुए दिलों को मिलाते चले चलो
हाँ मिलाते चले चलो

Curiosità sulla canzone Manzil Ki Dhun Mein di Mukesh

Chi ha composto la canzone “Manzil Ki Dhun Mein” di di Mukesh?
La canzone “Manzil Ki Dhun Mein” di di Mukesh è stata composta da Naushad, Shakeel Badayuni.

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