Kai Baar Yun Bhi Dekha Hai

Yogesh, Salil Chowdhury

कई बार यूँ भी देखा है
ये जो मन की सीमा रेखा है
मन तोड़ने लगता है
अनजानी प्यास के पीछे
अनजानी आस के पीछे
मन दौड़ने लगता है

राहों में, राहों में, जीवन की राहों में
जो खिले हैं फूल, फूल मुस्कुरा के
कौन सा फूल चुरा के
रखूँ लूँ मन में सज़ा के
कई बार यूँ भी देखा है
ये जो मन की सीमा रेखा है
मन तोड़ने लगता है
अनजानी प्यास के पीछे
अनजानी आस के पीछे
मन दौड़ने लगता है

जानूँ ना, जानूँ ना
उलझन ये जानूँ ना
सुलझाऊँ कैसे कुछ समझ ना पाऊँ
किसको मीत बनाऊँ
किसकी प्रीत भुलाऊँ
कई बार यूँ भी देखा है
ये जो मन की सीमा रेखा है
मन तोड़ने लगता है
अनजानी प्यास के पीछे
अनजानी आस के पीछे
मन दौड़ने लगता है

Curiosità sulla canzone Kai Baar Yun Bhi Dekha Hai di Mukesh

Chi ha composto la canzone “Kai Baar Yun Bhi Dekha Hai” di di Mukesh?
La canzone “Kai Baar Yun Bhi Dekha Hai” di di Mukesh è stata composta da Yogesh, Salil Chowdhury.

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