Manzar Samet Lai Hai
मंज़र समेत लाई है
मंज़र समेत लाई है
जो तेरे गाओं के
मंज़र समेत लाई है
जो तेरे गाओं के
मंज़र समेत लाई है
जो तेरे गाओं के
नींदे चुरा रहे है वो
झोंके हवओ के
मंज़र समेत लाई है
जो तेरे गाओं के
पल भर को तेरी याद में
धड़का था दिल मेरा
पल भर को तेरी याद में
धड़का था दिल मेरा
अब डोर तक भंवर से
पड़े है सदाओ के
मंज़र समेत लाई है
जो तेरे गाओं के
यादे सफ़र मिली हैं किसे
राहे सोख में
यादे सफ़र मिली हैं किसे
राहे सोख में
हुँने लूटा दिए है
हुँने लूटा दिए है
निशान अपने पाओं के
मंज़र समेत लाई है
जो तेरे गाओं के
हुँने लिया हैं जब भी
राह जान का नाम
राह जान का नाम
राह जान का नाम
चेहरे उतार उतार गये
कुच्छ रह नुमाओ के
मंज़र समेत लाई है
जो तेरे गाओं के.