Teri Aankhon Ke Siva Duniya Men [Chirag]

Majrooh Sultanpuri, Madan Mohan

तेरी आँखों के सिवा
दुनिया में रखा क्या है
तेरी आँखों के सिवा
दुनिया में रखा क्या है
ये उठे सुबह चले
ये झुके शाम ढले
मेरा जीना
मेरा मरना
इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा
दुनिया में रखा क्या है

ये हों कहीं इनका साया
मेरे दिल से जाता नहीं
इनके सिवा अब तो कुछ भी
नज़र मुझको आता नहीं
ये हों कहीं इनका साया
मेरे दिल से जाता नहीं
ये उठे सुबह चले
ये झुके शाम ढले
मेरा जीना
मेरा मरना
इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा
दुनिया में रखा क्या है

आ आ आ आ आ आ
ठोकर जहाँ मैने खाई
इन्होंने पुकारा मुझे
ये हमसफ़र हैं तो काफ़ी है
इनका सहारा मुझे
ठोकर जहाँ मैने खाई
इन्होंने पुकारा मुझे
ये उठे सुबह चले
ये झुके शाम ढले
मेरा जीना
मेरा मरना
इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा
दुनिया में रखा क्या है
ये उठे सुबह चले
ये झुके शाम ढले
मेरा जीना
मेरा मरना
इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा
दुनिया में रखा क्या है
तेरी आँखों के सिवा
दुनिया में रखा क्या है

Curiosità sulla canzone Teri Aankhon Ke Siva Duniya Men [Chirag] di Lata Mangeshkar

Chi ha composto la canzone “Teri Aankhon Ke Siva Duniya Men [Chirag]” di di Lata Mangeshkar?
La canzone “Teri Aankhon Ke Siva Duniya Men [Chirag]” di di Lata Mangeshkar è stata composta da Majrooh Sultanpuri, Madan Mohan.

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