Tere Mandir Ka
मेरा मुझ में कुछ नहीं जो कुछ है तेरा
तेरा तुझ को सूप क क्या लग्गे मेरा
तेरे मंदिर का हूँ दीपक जल रहा
तेरे मंदिर का हूँ दीपक जल रहा
आग जीवन में मैं भर कर चल रहा
जल रहा
तेरे मंदिर का हूँ दीपक जल रहा
क्या तू मेरे दर्द से अंजान है
तेरी मेरी क्या नयी पहचान है
जो बिना पानी बताशा घाल रहा
आग जीवन में मैं भर कर चल रहा
तेरे मंदिर का हूँ दीपक जल रहा
एक झलक मुझ को दिखा दे सांवरे
सांवरे
मुझ को ले चल तू कदंब की च्चाओं रे
सांवरे
ओ रे च्चलिया, आआआअ एयाया
ओ रे छलिया क्यूँ मुझे तू च्चल रहा
आग जीवन में मैं भर कर चल रहा
तेरे मंदिर का हूँ दीपक जल रहा
मैं तो किस्मत बाँसुरी की बाटता का
एक धुन पे सौ तारेह से नाचता
आँख से जमुना का पानी ढाल रहा
आग जीवन में मैं भर कर चल रहा
तेरे मंदिर का हूँ दीपक जल रहा (तेरे मंदिर का हूँ दीपक जल रहा)