Suramai Raat Hai, Subah Ka Intezaar Kaun Kare
सुरमाई रात है तारे हैं
आज दोनो जहां हमारे हैं
सुबह का इत्तेज़ार कौन करे
सुबह का इत्तेज़ार कौन करे
फिर यह रुत यह समा मिले न मिले
फिर यह रुत यह समा मिले न मिले
आरज़ू का चमन खिले न खिले
वक्त का ऐतबार कौन करे
सुबह का इत्तेज़ार कौन करे
ले भी लो हम को अपनी बहो में
ले भी लो हम को अपनी बहो में
रूह बेचान है निगाहों में
इल्तेजा बार बार कौन करे
इल्तेजा बार बार कौन करे
सुबह का इत्तेज़ार कौन करे
सुबह का इत्तेज़ार कौन करे