Shikaayat Kyaa Karun Donon Taraf Gam Kaa Fasaanaa Hai
शिकायत क्या करूँ दोनों तरफ़ ग़म का फ़साना है
मेरे आगे मुहब्बत है तेरे आगे ज़माना है
ओ ओ ओ
पुकारा है तुझे मंज़िल ने लेकिन मैं कहाँ जाऊँ
पुकारा है तुझे मंज़िल ने लेकिन मैं कहाँ जाऊँ
बिछड़कर तेरी दुनिया से कहाँ मेरा ठिकाना है
शिकायत क्या करूँ दोनों तरफ़ ग़म का फ़साना है
ओ ओ ओ
मुबारक हो तुझे जान-ए-वफ़ा मजबूरियाँ तेरी
मुबारक हो तुझे जान-ए-वफ़ा मजबूरियाँ तेरी
मुझे तो ज़िंदगी भर प्यार का वादा निभाना है
शिकायत क्या करूँ दोनों तरफ़ ग़म का फ़साना है
मेरे आगे मुहब्बत है तेरे आगे ज़माना है
शिकायत क्या करूँ दोनों तरफ़ ग़म का फ़साना है