Roz Sham Aati Hai Magar Aesi

Laxmikant Pyarelal, Majrooh Sultanpuri

ला ला ला ला
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी
रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी
रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी
ये आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी
रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी

डाली में ये किसका हाथ करे इशारे बुलाए मुझे
डाली में ये किसका हाथ करे इशारे बुलाए मुझे
झूमती चचल हवा छूके तन गुदगुदाए मुझे
हौले हौले धीरे धीरे कोई गीत मुझको सुनाए
प्रीत मन में जगाई
खुली आँख सपने दिखाए
दिखाए दिखाए दिखाए
खुली आँख सपने दिखाए
ये आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी
रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी (ला ला ला )

अरमानों का रंग है, जहाँ पलकें उठाती हूँ मैं
अरमानों का रंग है, जहाँ पलकें उठाती हूँ मैं
हँस-हँस के है देखती, जो भी मूरत बनाती हूँ मैं
जैसे कोई मोहे छेड़े, जिस ओर भी जाती हूँ मैं
डगमगाती हूँ मैं, दीवानी हुई जाती हूँ मैं
दीवानी हुई जाती हूँ मैं
दीवानी हुई जाती हूँ मैं
ये आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी
रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी (ला ला ला )

आ हू हू मगर ऐसी न थी

Curiosità sulla canzone Roz Sham Aati Hai Magar Aesi di Lata Mangeshkar

Chi ha composto la canzone “Roz Sham Aati Hai Magar Aesi” di di Lata Mangeshkar?
La canzone “Roz Sham Aati Hai Magar Aesi” di di Lata Mangeshkar è stata composta da Laxmikant Pyarelal, Majrooh Sultanpuri.

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