Na Ghar Ka Na Bahar Ka

Ravindra Jain

आई है
आई है किरण से बहारे (आहा आहा हा हा)
गुलशन झूम उठा (हम्म्म हम्म्म हम्म्म )
खुशिया खड़ी है, बाँधे कतरे (आहा आहा आहा आहा)
जीवन झूम उठा (आहा आहा आहा आहा)

कोई नही दुनिया मे

आ आ आ आ

ओ कोई नही दुनिया मे

हम्म्म हम्म्म हम्म्म

प्यारी मा के बराबर का
ना घर का ना बाहर का
ओ कोई नही दुनिया मे

बुझी हुई ममता का दीपक जलाने
फिर एक देवी आई है
उसके निकचछाल नैनो मे स्नेह की
गंगा सी लहराई है
गंगा सी लहराई है, इस गंगाजल मे
ओ इस गंगाजल मे, दुख भूलेगा अंतर का
ना घर का ना बाहर का, ओ कोई नही दुनिया मे

माँ माँ माँ माँ माँ माँ माँ माँ
लगता नही तेरे आने से पहले
कोई मेरी मा होगी
होगी भी तो तेरे जैसी ममतामयी ना होगी
ऐसी ममतामयी ना होगी
मैया तू तो मेरे लिए

आ आ आ आ

ओ मैया तू तो मेरे लिए

हम्म्म हम्म्म हम्म्म

वरदान है ईश्वर का
ना घर का ना बाहर का
ओ कोई नही दुनिया मे
प्यारी मा के बराबर का
ना घर का ना बाहर का
ओ कोई नही दुनिया मे

Curiosità sulla canzone Na Ghar Ka Na Bahar Ka di Lata Mangeshkar

Chi ha composto la canzone “Na Ghar Ka Na Bahar Ka” di di Lata Mangeshkar?
La canzone “Na Ghar Ka Na Bahar Ka” di di Lata Mangeshkar è stata composta da Ravindra Jain.

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