Mujhe Chu Rahi Hai Teri Garam Sansen

Gulzar, Rajesh Roshan Nagrath

मुझे छू रही हैं तेरी गर्म साँसें
मेरे रात और दिन महकने लगे हैं
तेरी नर्म साँसों ने ऐसे छुआ हैं
के मेरे तो पाओं बहकने लगे हैं

लबों से अगर तुम बुला ना सको तो
निगाहों से तुम नाम लेकर बुला लो

तुम्हारी निगाहें बहुत बोलती हैं
ज़रा अपनी आँखों पे पलके गिरा दो

मुझे छू रही हैं तेरी गर्म साँसें
मेरे रात और दिन महकने लगे हैं

पता चल गया है के मंज़िल कहाँ है
चलो दिल के लम्बे सफ़र पे चलेंगे

सफ़र खत्म कर देंगे हम तो वहीं पर
जहाँ तक तुम्हारे कदम ले चलेंगे

मुझे छू रही हैं तेरी गर्म साँसें
मेरे रात और दिन महकने लगे हैं

तेरी नर्म साँसों ने ऐसे छूआ हैं
के मेरे तो पाओं बहकने लगे हैं

Curiosità sulla canzone Mujhe Chu Rahi Hai Teri Garam Sansen di Lata Mangeshkar

Chi ha composto la canzone “Mujhe Chu Rahi Hai Teri Garam Sansen” di di Lata Mangeshkar?
La canzone “Mujhe Chu Rahi Hai Teri Garam Sansen” di di Lata Mangeshkar è stata composta da Gulzar, Rajesh Roshan Nagrath.

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