Muhabbat Aisi Dhadakan Hai Jo Samajhai Nahi Jaati

Hasrat Jaipuri, Shailendra, Rajinder Krishan

क्या इत्ज़ार ए शौक को जनमो की प्यास है
इक शमा जल रही है तो वो भी उदास है
मुहब्बत ऐसी धड़कन है जो समझी नहीं जाती
जो समझै नहीं जाती
जुबा पर दिल की बेचानी कभी लाई नहीं जाती
कभी लाई नहीं जाति मुहब्बत ऐसी धड़कन है

चले आओ चले आओ तक़ज़ा है निगाहों के
चले आओ चले आओ तक़ज़ा है निगाहों का
तक़ज़ा है निगाहों का
किसी की आरजू ऐसे तो ठुकराई नहीं जाती
तो ठुकराई नहीं जाती
मुहब्बत ऐसी धड़कन है जो समझ नहीं जाती
जो समझ नहीं जाती
मुहब्बत ऐसी धड़कन एच

मेरे दिल ने बसाये है सजादे आज रहो में
मेरे दिल ने बिच्छू है सजादे आज रहो में
सजदे आज रहो में
जो हलत आशिकी की है वो बतलाई नहीं जाति
वो बतलाई नहीं जाती
मुहब्बत ऐसी धड़कन है जो समझ नहीं जाती
जो समाज नहीं जाती मुहब्बत ऐसी धड़कन है

Curiosità sulla canzone Muhabbat Aisi Dhadakan Hai Jo Samajhai Nahi Jaati di Lata Mangeshkar

Chi ha composto la canzone “Muhabbat Aisi Dhadakan Hai Jo Samajhai Nahi Jaati” di di Lata Mangeshkar?
La canzone “Muhabbat Aisi Dhadakan Hai Jo Samajhai Nahi Jaati” di di Lata Mangeshkar è stata composta da Hasrat Jaipuri, Shailendra, Rajinder Krishan.

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