Koyi Kahe Rasiya Koyi Man Basiya
कोई कहे रसिया कोई मन बसिया
मैं पिया तुझे चोर
कहु या छलिया रे
मैं पिया तुझे चोर
कहु या छलिया रे
कोई कहे रसिया कोई मन बसिया
मैं पिया तुझे चोर
कहु या छलिया रे
मैं पिया तुझे चोर
कहु या छलिया रे
ये कैसी जवानी की रश्में
उमीदों खयालो में कस्में
बिजली क्यूँ दौडे नाश नष में
न मैं बस में न दिल बस में
मैं बन ही गयी रे बांवरिया
कोई कहे रसिया कोई मन बसिया
मैं पिया तुझे चोर
कहु या छलिया रे
मैं पिया तुझे चोर
कहु या छलिया रे
मातभरी मेरी अंगडाई है
और साथ मेरी शहनाई है
गालो पे गुलाबी शाइ है
क्यों नज़र आँख फ़रमाई है
क्या बेस नयन में सांवरिया
कोई कहे रसिया कोई मन बसिया
मैं पिया तुझे चोर
कहु या छलिया रे
मैं पिया तुझे चोर
कहु या छलिया रे