Kitni Akeli

MAJROOH SULTANPURI, S.D. BURMAN

आ आ आ आ आ आ आ आ
कितनी अकेली
कितनी अकेली
कितनी तनहा सी लगी
उनसे मिल के मैं आज
कितनी अकेली
कितनी तनहा सी लगी
उनसे मिल के मैं आज
कितनी अकेली

इस तरह खुले नैना
आये वो मेरे आगे
इस तरह खुले नैना
आये वो मेरे आगे
जिस तरह किसी गहरी
नींद से कोई जागे
अब जहान से दूर हूँ कहीं
बैठी मैं अलबेली
कितनी अकेली
आ आ आ आ
कितनी अकेली
कितनी तनहा सी लगी
उनसे मिल के मैं आज
कितनी अकेली

आ आ आ आ आ आ आ आ

काश वो मेरे बन के
पास यूँ कभी आते
काश वो मेरे बन के
पास यूँ कभी आते
खुलते द्वार बाँहों के
तन दिये से जल जाते
प्यार के बिना है ये मन मेरा
जैसे सूनी हवेली
कितनी अकेली
आ आ आ आ
कितनी अकेली
कितनी तनहा सी लगी
उनसे मिल के मैं आज
कितनी अकेली
कितनी तनहा सी लगी
उनसे मिल के मैं आज
कितनी अकेली

Curiosità sulla canzone Kitni Akeli di Lata Mangeshkar

Chi ha composto la canzone “Kitni Akeli” di di Lata Mangeshkar?
La canzone “Kitni Akeli” di di Lata Mangeshkar è stata composta da MAJROOH SULTANPURI, S.D. BURMAN.

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