Kaun Dagar
न कोई धरती है तेरी न कोई गगन
शाख से पत्ते को जैसे ले चले पवन
कौन डगर कौन शहर
कौन डगर कौन शहर
तू चली कहाँ ढूंढ रहे नैन तक
अपना आशियां
तनहा तनहा लम्हा लम्हा
तनहा तनहा लम्हा लम्हा
छूटा पीछे कारवां
कौन डगर कौन शहर
तू चली कहाँ
ढूंढ रहे नैन तक अपना आशियां
कौन डगर कौन शहर
तू चली कहाँ तू चली कहाँ
तू नदी सी बह रही सागर कहीं नहीं
मोड़ तो गयी मिले मंजिल कहीं नहीं
तू नदी सी बह रही सागर कहीं नहीं
मोड़ तो गयी मिले मंजिल कहीं नहीं
आगे तूफ़ान बुझते अरमान
आगे तूफ़ान बुझते अरमान
नज़रों में है धुंआ
कौन डगर कौन शहर
तू चली कहाँ
ढूंढ रहे नैन तक अपना आशियां
कौन डगर कौन शहर
तू चली कहाँ तू चली कहाँ
अपनी धुन में उड़ रही थी चंचल सी हवा
दर्द कोई दे गया पंख ले गया
अपनी धुन में उड़ रही थी चंचल सी हवा
दर्द कोई दे गया पंख ले गया
मौसम रूठा नगमा टूटा
मौसम रूठा नगमा टूटा छायी खामोशियाँ
कौन डगर कौन शहेर तू चलि कहाँ
ढूंढ रहे नैन तक अपना आशियां
तनहा तनहा लम्हा लम्हा
तनहा तनहा लम्हा लम्हा
छूटा पीछे कारवां
कौन डगर कौन शहेर तू चलि कहाँ
ढूंढ रहे नैन तक अपना आशियां
कौन डगर कौन शहेर तू चलि कहाँ