Kab Beet Gaye Jeevan Ki Subah

Madhuraj

कब बीत गई जीवन की सुबह
यह जान ना में तो पे रे
बुझ गये दीप आशाओ के
यह कैसी आँधी आई रे
यह कैसी आँधी आई रे
कब बीत गई

दुनिया ने मेरा दुनिया में
सुख चैन है मुझसे छीन लिया
सुख चैन है मुझसे छीन लिया
किसमत ने खुशी की कलियो को
है मन उपवन से बिन लिया
है मन उपवन से बिन लिया
एब्ब किसको पुकारू सुनता नही
दुखिया की कोई दुहाई रे
दुखिया की कोई दुहाई रे
कब बीत गई

जब लाखों थे सुननेवाले
तब कहने को थी बात नही
तब कहने को थी बात नही
एब्ब लाखों बातें कहनी है
और सुननेवाला साथ नही
और सुननेवाला साथ नही
मैं पूछू किसे जाकर के प्रभु
मैं पुच्छू किसे जाकर के प्रभु
यह किसने आग लगाई रे
यह किसने आग लगाई रे
कब बीत गई

Curiosità sulla canzone Kab Beet Gaye Jeevan Ki Subah di Lata Mangeshkar

Chi ha composto la canzone “Kab Beet Gaye Jeevan Ki Subah” di di Lata Mangeshkar?
La canzone “Kab Beet Gaye Jeevan Ki Subah” di di Lata Mangeshkar è stata composta da Madhuraj.

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