Hansi Hansi Na Rahi

Arzoo Lakhnavi

हँसी हँसी ना रही
और खुशी खुशी ना रही
मैं ज़िंदगी जिसे समझुँ
वो ज़िंदगी ना रही

जियुं तो किसके लए
जियुं तो किसके लए
और मरूं तो किसके लए
मरूं तो किसके लए
जो एक आस बँधी थी
वो आस ही ना रही
हँसी हँसी ना रही
और खुशी खुशी ना रही

कुच्छ आ के घाम के
अंधेरे ने ऐसा घेर लिया
कुच्छ आ के घाम के
अंधेरे ने ऐसा घेर लिया
चिराग जलते रहे
और रोशनी ना रही
हँसी हँसी ना रही
और खुशी खुशी ना रही

अंधेरी रात है
अंधेरी रात है अब और
बुझा सा दिल का दिया
बुझा सा दिल का दिया
जो चार दिन के लए थी
वो चाँदनी ना रही
हँसी हँसी ना रही
और खुशी खुशी ना रही

Curiosità sulla canzone Hansi Hansi Na Rahi di Lata Mangeshkar

Chi ha composto la canzone “Hansi Hansi Na Rahi” di di Lata Mangeshkar?
La canzone “Hansi Hansi Na Rahi” di di Lata Mangeshkar è stata composta da Arzoo Lakhnavi.

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