Ek Baat Meri Hothon Par [With Dialogue]
एक बात एक बात मेरे होतो तक
आ आ के पलट जाती है
मैं कहने को तो कह डू
पर शर्म मुझे आती है
एक बात एक बात मेरे होतो तक
आ आ के पलट जाती है
मैं कहने को तो कह डू
पर शर्म मुझे आती है
पहले तो मुझे दस्ती थी
ये रातो की तन्हाई
कुछ बदली बदली सी है
क्यू आज मेरी अंगड़ाई
मैं कहने को तो कह डू
पर शर्म मुझे आती है
मौसम तो है भींगा
भींगा जलता है मगर टन मेरा
आँखो में नशा सा आया
एक रंग अजब सा छाया
छीना है प्यार से
किसने ना जाने ये मन मेरा
मैं कहने को तो कह डू
पर शर्म मुझे आती है
एक बात एक बात मेरे होतो तक
आ आ के पलट जाती है
मैं कहने को तो कह डून
पर शर्म मुझे आती है