Do Din Ki Zindagi Kaisi Yeh Zindagi [1]

KAIFI AZMI, LAXMIKANT PYARELAL

दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी
दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी
कोइ न ये जाने हो हो हो हो
भीतर अंधेरा है बाहर है रौशनी
देखें न परवाने
दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी

अरमाँ की बस्ती जाने कैसी है बस्ती
उतनी ही सूनी हो हो हो
उतनी ही सूनी जितनी छायी है मस्ती
नज़रों में बाँकपन आँखों में सौ चमन
सीने में वीराने
दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी

पहले तो क्या क्या सपने दिखलाये दुनिया
फिर ख़ुद ही टूटा हो हो हो
फिर ख़ुद ही टूटा
सपना बन जाये दुनिया
दुनिया की चाह की
नग़मों की आह की
झूठे हैं अफ़साने
दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी
हो हो हो हो

फूलों ने देखा खिल के मुरझाना दिल का
तारों ने देखा हो हो हो
तारों ने देखा
जल के बुझ जाना दिल का
थे कल जो मेहरबाँ
थे कल जो राज़दाँ
निकले वो बेगाने
दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी हम्म

Curiosità sulla canzone Do Din Ki Zindagi Kaisi Yeh Zindagi [1] di Lata Mangeshkar

Chi ha composto la canzone “Do Din Ki Zindagi Kaisi Yeh Zindagi [1]” di di Lata Mangeshkar?
La canzone “Do Din Ki Zindagi Kaisi Yeh Zindagi [1]” di di Lata Mangeshkar è stata composta da KAIFI AZMI, LAXMIKANT PYARELAL.

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