Barbad Muhabbat Ko Ye Kab Tak Saja Doge

Rajendra Krishan

दिल-ए-बेताब तड़पता है, दिखाऊँ कैसे?
एक शोला सा भड़कता है, बुझाऊँ कैसे?
या मेरे सामने आ, या मुझे आवाज़ दे
बर्बाद ए मोहब्बत को कब तक ये सज़ा दोगे?

बर्बाद-ए-मोहब्बत को कब तक ये सज़ा दोगे?
बर्बाद-ए-मोहब्बत को कब तक ये सज़ा दोगे?
ना सामने आओगे, ना अपना पता दोगे
बर्बाद-ए-मोहब्बत को

पूछो तो ज़रा दिल से, मैं कौन हूँ औरक्या हूँ
टूटा हुआ तारा हूँ, सूखा हुआ दरिया हूँ
घायल की तड़प हूँ मैं...
घायल की तड़प हूँ मैं, बिस्मिल की तमन्ना हूँ
तुम शक्लहो उस शय की जिस शय का मैं साया हूँ
सोचा भी ना था, एक दिन यूँ दिल से भुला दोगे
ना सामने आओगे, ना अपना पता दोगे
बर्बाद-ए-मोहब्बत को

इक रोज़ बसाया था तुमने ही जहाँ मेरा
रातें थी मोहब्बत की, हर दिन था जवाँ मेरा
मैं तुमसे बिछड़ के भी...
मैं तुमसे बिछड़ के भी कुछ दूर नहीं तुमसे
देखोगे अगर दिल में, पाओगे निशाँ मेरा
देखोगे अगर दिल में, पाओगे निशाँ मेरा
लौट आएँगी यादें जब, माज़ी सदा दोगे
ना सामने आओगे, ना अपना पता दोगे
बर्बाद-ए-मोहब्बत क

Curiosità sulla canzone Barbad Muhabbat Ko Ye Kab Tak Saja Doge di Lata Mangeshkar

Chi ha composto la canzone “Barbad Muhabbat Ko Ye Kab Tak Saja Doge” di di Lata Mangeshkar?
La canzone “Barbad Muhabbat Ko Ye Kab Tak Saja Doge” di di Lata Mangeshkar è stata composta da Rajendra Krishan.

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