Aaj Kal Paon Zameen Par

Gulzar

हं हं हं हं हं हं

आजकल पाँव जमींपर नहीं पड़ते मेरे
आजकल पाँव जमींपर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए
आजकल पाँव जमींपर नहीं पड़ते मेरे

जब भी थामा है तेरा हाथ तो देखा है
जब भी थामा है तेरा हाथ तो देखा है
लोग कहते हैं कि बस हाथ की रेखा है
हमने देखा है दो तकदीरों को जुड़ते हुए
आजकल पाँव जमींपर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए
आजकल पाँव जमींपर नहीं पड़ते मेरे

नींद सी रहती है हल्कासा नशा रहता है
रात दिन आँखों में एक चेहरा बसा रहता है
परलगी आँखों को देखा है कभी उड़ते हुए बोलो
आजकल पाँव जमींपर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए
आजकल पाँव जमींपर नहीं पड़ते मेरे

जाने क्या होता है हर बात पे कुछ होता है
दिन में कुछ होता है और रात में कुछ होता है
थाम लेना जो कभी देखो हमें उड़ते हुए
आजकल पाँव जमींपर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए
आजकल पाँव जमींपर नहीं पड़ते

Curiosità sulla canzone Aaj Kal Paon Zameen Par di Lata Mangeshkar

Chi ha composto la canzone “Aaj Kal Paon Zameen Par” di di Lata Mangeshkar?
La canzone “Aaj Kal Paon Zameen Par” di di Lata Mangeshkar è stata composta da Gulzar.

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