Suno Zara

Jatin-Lalit, Akhtar Javed

सुनो जरा सुनो जरा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है जो है ये कह रहा
के रहा में वह मोड़ आ गया
के जिसके आगे है ज़मीन न आसमान
न मंज़िलें न रास्ता

सुनो जरा सुनो जरा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है जो है ये कह रहा
के रहा में वह मोड़ आ गया
के जिसके आगे है ज़मीन न आसमान
न मंज़िलें न रास्ता

यादवों के गम ही तराने
जाती है तन्हाईयाँ
हाँ दिन ढल रहा है तो कितनी
लम्बी हैं परछाइयाँ
बस एक पल में होगा सभ धुआँ धुआँ
है आरज़ू की ये सदा

सुनो जरा सुनो जरा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है जो है ये कह रहा
के रहा में वह मोड़ आ गया
के जिसके आगे है ज़मीन न आसमान
न मंज़िलें न रास्ता

ला ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला ला

धुन्दला गए हैं सितारे
फूलों को नींद आ गयी
गुम सूम से हम सोचते हैं
बातें अधूरी कई
हुई न पूरी क्यूँ कोई भी दास्ताँ
किसे खबर किसे पता

सुनो जरा सुनो जरा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है जो है ये कह रहा
के रहा में वह मोड़ आ गया
के जिसके आगे है ज़मीन न आसमान
न मंज़िलें न रास्ता

सुनो जरा सुनो जरा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है जो है ये कह रहा
के रहा में वह मोड़ आ गया
के जिसके आगे है ज़मीन न आसमान
न मंज़िलें न रास्ता

न मंज़िलें न रास्ता
हूँ हूँ हूँ हूँ
हूँ हूँ हूँ हूँ.

Curiosità sulla canzone Suno Zara di Kumar Sanu

Chi ha composto la canzone “Suno Zara” di di Kumar Sanu?
La canzone “Suno Zara” di di Kumar Sanu è stata composta da Jatin-Lalit, Akhtar Javed.

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