Kya Tum Wohi Ho
क्या तुम वही हो
क्या तुम वही हो
क्या तुम वही हो क्या तुम वही हो
अपने खाबों मे मैं ढूंढता हूँ जिसे
बंदगी है मेरी पूजता हूँ जिसे
तन्हा बैठा हुआ सोचता हूँ जिसे
क्या तुम वही हो क्या तुम वही हो
हर घड़ी इन निगाहों ने माँगा जिसे
मेरे दिल की पनाहों ने माँगा जिसे
लब पे आई सदाओं ने माँगा जिसे
क्या तुम वही हो क्या तुम वही हो
धीमे सुर मे कोई गीत गाती है जो
दिल मे चाहत की लेहरे उठाती है जो
अपने चेहरे को अक्सर छुपाती है जो
हाँ तुम वही हो हाँ तुम वही हो
हाँ तुम वही हो हाँ तुम वही हो