Jaane Kahan [Pt. 2]
जाने कहाँ ले के जाए ज़िंदगी
कैसे ख्वाब दिखाए ज़िंदगी
बन के तेरा हमसफ़र
मैं चला जाने किधर
ज़िंदगी ओ ज़िंदगी
क्या क्या रंग दिखाए ज़िंदगी
हा जाने कहाँ ले के जाए ज़िंदगी
क्यूँ वक़्त लाया मुझको ग़म के शहर मे
काटे बिछे है कितने हर रहगुजर मे
जख़्मो के जाने कितने दिल मे निशा है
आँसू ही आँसू है आँखो के घर मे
इस शहर को क्या हुआ रहगुजर को क्या हुआ
ज़िंदगी ओ ज़िंदगी
क्यूँ ये ज़ख़्म लगाए ज़िंदगी
जाने कहा ले के जाए ज़िंदगी
रातो ने आकर मेरा सपना चुराया हा
दिन के उजालो ने भी साया चुराया
हो शिकायत करू मैं किससे किसको सुनाऊ हा
दुनिया ने मुझसे मेरा क्या क्या चुराया
बेबसी ही बेबसी क्या करू क्या ना करू
ज़िंदगी ओ ज़िंदगी
कितने दर्द छुपाए ज़िंदगी
जाने कहाँ ले के जाए ज़िंदगी