Musafir
मुसाफिर मैं हू ये किस मोड पर
नज़र में नही है कोई भी डगर
परिंदा जेसे मेरे दर-बदर
ये पूछे कहा है मेरा एक बसर
जहा वक्त हो थमा और हो सुकून ज़रा
क्यूँ तन्हैया आइयाँ आइयाँ आइयाँ
दिल की दुहैया आइयाँ आइयाँ आइयाँ
क्यूँ ये जूदाईयाँ आइयाँ आइयाँ आइयाँ
रूह में समायाँ आइयाँ आइयाँ आइयाँ
मैं ही नज़र मैं ही ज़ुबान
मैं ही तो ख्वाइश में खवाबो मैं हूँ
मैं ही असर मैं ही वजाहा
मैं ही तो अपने इरादो में हूँ
खुद से ही रोशन-रोशन
खुद का ही मैं हम-दम
खुद का हू रहबर
है खुद पे यकीन बस मुझे
ह्म्म्म्म पर अपनो से फ़ासले हैं
क्यूँ तन्हैया आइयाँ आइयाँ आइयाँ
दिल की दुहैया आइयाँ आइयाँ आइयाँ
क्यूँ ये जूदाईयाँ आइयाँ आइयाँ आइयाँ
रूह में समायाँ आइयाँ आइयाँ आइयाँ
एक एहसान कर दे ज़रा
अपनी मोहब्बत की देदे पनाह
जीने का है तू ही सबब
फिर क्या करू में ये जज़्बात बयान
तुझसे जुड़ु में जुड़ा ही रहु में
तेरी ही वाफ़ाओं के साए में ये सफ़र कटे
क्यूँ तन्हैया आइयाँ आइयाँ आइयाँ
दिल की दुहैया आइयाँ आइयाँ आइयाँ
क्यूँ ये जूदाईयाँ आइयाँ आइयाँ आइयाँ
रूह में समायाँ आइयाँ आइयाँ आइयाँ
मुसाफिर मैं हू ये किस मोड पर
नज़र में नही है कोई भी डगर
परिंदा जेसे मेरे दर-बदर
ये पूछे कहा है मेरा एक बसर
जहा वक्त हो थमा और हो सुकून ज़रा