Na Jaane Din Kaise [Part 1]
ना जाने दिन कैसे जीवन मे आए है
ना जाने दिन कैसे जीवन मे आए है
के मुझसे तो बिछड़े खुद मेरे साए है
ना जाने दिन कैसे जीवन मे आए है
क्या क्या सोचा था, क्या थी उम्मीदे
जिसके लिए भी मैने खो दी आँखो की ये नींदे
उसी से दुखो के तोहफे ये पाए है
ना जाने दिन कैसे जीवन मे आए है
समझा सुख जिसको छाया थी गम की
जैसे कही रेत पे चमके कुछ बूंदे शबनम की
ये धोखे नज़र के हमने भी खाए है
ना जाने दिन कैसे जीवन मे आए है