Manzilen Apni Jagah Hai

Bappi Lahiri, Mehra Prakash

हम्म हम्म मन्ज़िलों पे आके लुटते हैं दिलों के कारवाँ
कश्तियां साहिल पे अक्सर डूबती हैं प्यार की

मन्ज़िलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह
मन्ज़िलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह
जब कदम ही साथ ना दें तो मुसाफ़िर क्या करे

यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
बढ़के कोई हाथ ना दे दिल भला फिर क्या करे
मन्ज़िलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह

डूबने वाले को तिनके का सहारा ही बहुत
दिल बहल जाए फ़कत इतना इशारा ही बहुत
इतने पर भी आसमाँ वाला गिरा दे बिजलियाँ
कोई बतलादे ज़रा ये डूबता फिर क्या करे
मन्ज़िलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह

प्यार करना जुर्म है तो जुर्म हमसे हो गया
काबिल ए माफ़ी हुआ करते नहीं ऐसे गुनाह
संग दिल है ये जहाँ और संग दिल मेरा सनम
क्या करें जोश ए ज़ुनूं और हौंसला फिर क्या करे
मन्ज़िलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह
जब कदम ही साथ ना दें तो मुसाफ़िर क्या करे

यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
बढ़के कोई हाथ ना दे दिल भला फिर क्या करे

Curiosità sulla canzone Manzilen Apni Jagah Hai di Kishore Kumar

Chi ha composto la canzone “Manzilen Apni Jagah Hai” di di Kishore Kumar?
La canzone “Manzilen Apni Jagah Hai” di di Kishore Kumar è stata composta da Bappi Lahiri, Mehra Prakash.

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