Kati Umar Hotelon Mein
थी कुछ ख़ता किसी की ये नसीब मे लिखा था
कटे उम्र होटलों में मरे हस्पताल आकार
कफ़न में ये मोहब्बत के पुजारी देखते जाओ
ज़माने ने जो की हालत हमारी देखते जाओ
कफ़न में ये मोहब्बत के पुजारी देखते जाओ
ज़माने ने जो की हालत हमारी देखते जाओ
कफ़न में सोने वालों से न पूछो जिंदगी क्या है
ना मरते तो बता देते जहां को आशिकी क्या है
मुझे चाहत ने मारा है
इसे किस्मत ने मारा है
मगर किसी अपने भाई को बुरी नियत ने मारा है
लुटे हैं किस तरह दिल के व्यापारी
देखते जाओ ज़माने ने जो की (देखते जाओ ज़माने ने जो की)
हालत हमारी देखते जाओ (हालत हमारी देखते जाओ)
जो लड़ते थे जहां में बनके हिंदू सिक्ख ईसाई
वो इस म॑ज़िल पे आकर बन गये आपस में है भाई
बता दे कोई हर सूरत कफ़न में क्यूँ लपेटी है
ये जीवन है ये पिंटू है
ये बनता सिंघ सेठी है
पड़े है चैन से क्या क्या खिलाड़ी
देखते जाओ (देखते जाओ)
कफ़न में ये मोहब्बत के (कफ़न में ये मोहब्बत के)
पुजारी देखते जाओ (पुजारी देखते जाओ)
ज़माने ने जो की हालत (ज़माने ने जो की हालत)
हमारी देखते जाओ (हमारी देखते जाओ)