Kahan Tak Yeh Man Ko Andhere

Yogesh, Roshan Rajesh

कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे
कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे

कभी सुख कभी दुख यही ज़िंदगी हैं
ये पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी हैं
ये पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी हैं
नये फूल कल फिर डगर में खिलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे

भले तेज कितना हवा का हो झोंका
मगर अपने मन में तू रख ये भरोसा
मगर अपने मन में तू रख ये भरोसा
जो बिछड़े सफ़र में तुझे फिर मिलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे

कहे कोई कुछ भी मगर सच यही है
लहर प्यार की जो कभीं उठ रही है
लहर प्यार की जो कभीं उठ रही है
उसे एक दिन तो किनारे मिलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे
कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे

Curiosità sulla canzone Kahan Tak Yeh Man Ko Andhere di Kishore Kumar

Chi ha composto la canzone “Kahan Tak Yeh Man Ko Andhere” di di Kishore Kumar?
La canzone “Kahan Tak Yeh Man Ko Andhere” di di Kishore Kumar è stata composta da Yogesh, Roshan Rajesh.

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