Jhuk Jhuk Buddhi Maa Ko
(?)
झुक झुक बुद्धि माँ
को करो प्रणाम
बन जायेंगे बिगड़े काम बोलो
झुक झुक बुद्धि माँ
को करो प्रणाम
बन जायेंगे बिगड़े काम
जैसे दर्शन वैसा नाम
बन जायेंगे बिगड़े काम बोलो
जैसे दर्शन वैसा नाम
बन जायेंगे बिगड़े काम
झुक झुक बुद्धि माँ
को करो प्रणाम
बन जायेंगे बिगड़े काम
बूढ़ी माँ को जान
सब होइ जाती दांग
नथी कब हु की टांग
नहीं सखत बखान
एक सौ अस्सी शमशानों की
मिटटी सर में दाल के
एक सौ अस्सी शमशानों की
मिटटी सर में दाल के
अरे आयी हूँ मैं द्वार
पे तेरे काली जीभ निकाल के
आयी है मान द्वार
पे तेरे काली जीभ निकाल के
पुण्य परेसी अर्पण केले
देवा को लो माँ माँ जी
बुड्ढी माँ माँ
पुण्य परेसी खटपट केले
देवा तू न माँ माँ जी
बुड्ढी माँ माँ
ऐसी बोली नमन करत तू
जल में रघुवर
माँ माँ जी बुद्धि माँ माँ
ऐसी चोरी परत करात तू
मन में झट पट
माँ माँ जी बुद्धि माँ माँ बोलो
झुक झुक बुद्धि माँ को प्रणाम
बन जायेंगे बिगड़े काम
जैसे दर्शन वैसा नाम (जैसे दर्शन वैसा नाम)
बन जायेंगे बिगड़े काम (बन जायेंगे बिगड़े काम)
साजि चतुरंग बियर
रंग में तुरंग चढ़ी
सरजा शिवजी जंग
जीतन चलत है
मन में धन का लोभ छुपाकर
सपने देखे ठाठ के
सपने देखे ठाठ के
अरे अपना पट्टा जोड़ना चाहे
और का पत्ता काट के
और का पत्ता काट के
(?)
पुण्य परेसी अर्पण केले
देवा को लो माँ माँ जी
बुड्ढी माँ माँ
पुण्य परेसी खटपट केले
देवा तू न माँ माँ जी
बुड्ढी माँ माँ
ऐसी बोली नमन करत तू
जल में रघुवर
माँ माँ जी बुद्धि माँ माँ
ऐसी बोली नमन करत तू
मन में बक बक माँ माँ जी
बुड्ढी माँ माँ
झुक झुक बुद्धि माँ
को करो प्रणाम
बन जायेंगे बिगड़े काम
जैसे दर्शन वैसा नाम
बन जायेंगे बिगड़े काम बोलो
झुक झुक बुद्धि माँ
को परनाम ओ नाचो
बन जायेंगे बिगड़े काम
जैसे दर्शन वैसा नाम
बन जायेंगे बिगड़े काम
बिगड़े काम झुक झुक
बूढ़ी माँ को करो प्रणाम
बन जायेंगे बिगड़े काम
जैसे दर्शन वैसा नाम
बन जायेंगे बिगड़े काम