Ban Ke Nazar
हे हे हे हे हे
बन के नज़र दिल की जुबां
कहने लगी इक दास्ताँ
बन के नज़र दिल की जुबां
कहने लगी इक दास्ताँ
जाने कैसा हैं ये अफसाना
जाने कैसा आया ये ज़माना
जाने कैसा हैं ये अफसाना
जाने कैसा आया ये ज़माना
अरे तू भी तो अनजान हैं
अरे मैं भी तो अनजान हैं
तू भी कुछ हैरान हैं
मैं भी कुछ हैरान हैं
न जाने कैसी बाते हुयी
तेरे मेरे दरमियान
बन के नज़र दिल की जुबां
कहने लगी इक दास्ताँ
बन के नज़र दिल की जुबां
कहने लगी इक दास्ताँ
ऐसा लगता हैं ये सितारे
जैसे करते हैं कुछ इशारे
ऐसा लगता हैं ये सितारे
जैसे करते हैं कुछ इशारे
अरे न आँखों में नींद हैं
न दिल में करार हैं
क्या हो जाए क्या पत्ता
कोई ऐतबार हैं
की ये उम्र पूछे ये रात
उसके सितम ये सम्मा
बन के नज़र दिल की जुबां
कहने लगी इक दास्ताँ
बन के नज़र दिल की जुबां
कहने लगी इक दास्ताँ
हे इक दास्ताँ हो हो इक दास्ताँ