Sahi Galat
तू जहाँ से देखता है मैं ग़लत हूँ तू सही
देख मेरी नज़रो से ग़लत में कुछ ग़लत नही
करना है जो करके ही रहूँगा मैने तय किया
ग़लत को भी सही तरह से करने का निश्चय किया
लगता है तो देख ज़ुर्म का ज़िम्मेदार हूँ मैं
जब सबूत ही नही तो कैसे गुनेहगार मैं
पुर होश-ओ-हवस मैं किया जो है किया
ग़लत को भी सही तरह से करने का निश्चय किया
तीर की तरह छलके अपने हर उपाय को
मेरे हर कदम के आड़े आने वाले न्याय को
साम दाम दंड भेद से भी मैने तय किया
ग़लत को भी सही तरह से करने का निश्चय किया
समझना खुदको मुझसे तेज़ तेरी भूल है
सियार जैसी होशियार ये फ़िज़ूल है
तेरा ख़याल ठेकेदार है तू वक़्त का
बदल के रहता है ये वक़्त का असूल है
हरकतों पर कब तलक मेरी नज़र रखेगा तू
करते करते पहरेदारी एक दिन थकेगा तू
मैं मगर नही थकुन्गा फ़ैसला है ये किया
ग़लत को भी सही तरह से करने का निश्चय किया