Tu Mera Kuch Bhi Nahi
तू मेरा कुछ भी नही
है मगर ऐसा क्यूँ है
तू मेरा कुछ भी नही
है मगर ऐसा क्यूँ है
एक यकीन सदियों की
पहचान लगता क्यूँ है
क्यूँ तेरे नाल से
तूफान राव होते है
दिल के जज़्बात भी
महताब अइया होते है
इस लिए देर तलाक़
रात की तन्हाई मैं
मेरी पॅल्को पे तेरे
खवाब जावा होते है
तू मेरा कुछ भी नही
है मगर ऐसा क्यूँ है
भीनी ख़ुसाबू के महल
दिल मैं उभर आते है
रंगो बुगार की मुंदेरो
पे उतार आते है
जैसे गाती हो वज़ल
बाद सबा होल से
जब तेरी याद के ाश्क़
निखार आते है
तू मेरा कुछ भी नही
है मगर ऐसा क्यूँ है
मुझा को मालूम नही
दिल की ये हालत क्यूँ है
जो नही बैर लिए उसकी
ये चाहत क्यूँ है
वो जगाह जिसा पाई अंधेरो
के शिवाय कूचा भी नही
उस जगह रुक के पनाह
होने मैं रहाट क्यूँ है
तू मेरा कुछ भी नही
है मगर ऐसा क्यूँ है
एक यकीन सदियों की
पहचान लगता क्यूँ है
और बस तुमसे लिपट
जाने को सिरी एहसास
हर घड़ी मेरे ख़यालो
मैं महेकता क्यूँ है
ह्म ह्म ह्म..
मगर ऐसा क्यूँ है.