Har Har Shambhu

Manoj Muntashir

चंद्रमा ललाट जागे
जटाओं में गंगा सोई
तेरे जैसा आदि योगी
हुआ है ना होगा कोई
चंद्रमा ललाट जागे
जटाओं में गंगा सोई
तेरे जैसा आदि योगी
हुआ है ना होगा कोई
बाबा इतना सरल तू
हर प्रार्थना का फल तू
मेरे भोले संभु हर हर संभू
निर्बलों का है बल तू
है माटी के दिये हम तो
हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने घेरा है
नहीं तो कबके बुझ जाते
है माटी के दिये हम तो
हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने घेरा है
नहीं तो कबके बुझ जाते

दुख के सिलवटे आई
जब हमारे माथे पर
कोई ढूंढा शिवाला
और झुक दिया है सर
धड़कनो से आती है
अब कहां ध्वनि कोई
आठो पहर सीने में
गुंजता है हर हर हर
बाबा दर्शन तू नयन तू
बाबा रत्नों का रतन तू
मेरे भोले संभु हर हर संभू
निर्धनो का है धन तू
तेरे पैग में ना झुकते तो
उठा के सर ना जी पाते
तेरे बिन कोन है मरुथल में
भी जो मेघ बरसा दे
है माटी के दिये हम तो
हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने घेरा है
नहीं तो कबके बुझ जाते

दानियों का दानी है तू
सारी सृष्टि याचक है
नाथ भय उसे है किसका
जो तेरा उपासक है
आते जाते रहते हैं
धूप छाँव से नाते
तू पिता है तेरी करुणा
जन्म से चिता तक है
बाबा जीवन तू मरण तू
बाबा ममता की छुअन तू
मेरे भोले संभु हर हर संभू
सब सुखों का कारण तू
कोई गिनती नहीं जग में
कर्म तेरे जो गिनावा दे
समंदर स्याही होता तो
तेरे उपकार लिख पाते
है माटी के दिये हम तो
हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने घेरा है
नहीं तो कबके बुझ जाते

Curiosità sulla canzone Har Har Shambhu di Jubin Nautiyal

Chi ha composto la canzone “Har Har Shambhu” di di Jubin Nautiyal?
La canzone “Har Har Shambhu” di di Jubin Nautiyal è stata composta da Manoj Muntashir.

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