Aagaz
आगाज़ है नया, एहसास कोई जगा
शरीक तू मुझमें है या खुद से मैं हूँ जुदा
यूँ इत्र की तरह, तू जो रूह में घुला
बनके खाब मैं तेरा, फिज़ा में महकने लगा
तू ही रब, तू ही खुदा
तू ही लब, तू ही दुआ
तू ही शब, तू ही सुबह
ओ रहनुमा, ओ रहनुमा
तेरे बिना मैं जी ना सकूँ
तेरे लिए ही सजदे करूँ
तू ही तो है मेरे दिल की तमन्ना
तेरे बिना मैं रह ना सकूँ
ओ चंदा रे, पास आरे, तुझसे है इलतेजा
तेरी खातिर मैं जिया रे, दूर मुझसे ना जा
मासूम सा है ये दिल मेरा, है तुझकों दे दिया
नदान है ये बेसमझ, ना होना इससे खफा
तू ही रब, तू ही खुदा
तू ही लब, तू ही दुआ
तू ही शब, तू ही सुबह
ओ रहनुमा, ओ रहनुमा
ओ पिया रे मान जा रे, मुझको यूँ ना सता
तेरे दिल में जो छुपा है, करदे सब तू बयां
तू ही मेरा जूनून है, तू ख्वाबों का कारवां
तू ही मेरा सुकून है, है तुझसे रोशन जहाँ
तू ही रब, तू ही खुदा(तू ही रब)
तू ही लब, तू ही दुआ(तू ही लब)
तू ही शब, तू ही सुबह
ओ रहनुमा, ओ रहनुमा
आगाज़ है या अंजाम है ये
इश्क़ का कोई फरमान है ये
सारे जहां को कहना है, बस एक तू ही मोहब्बत है