Tum
Irshad Kamil
तुम नज़र में रहो
ख़बर किसी को ना हो
आँखें बोलें
हो लब पे ख़ामोशी
आँखें बोलें
हो लब पे ख़ामोशी
तुम चलो जिस डगर
वो मेरी राहगुज़र
आँखें बोलें
हो लब पे ख़ामोशी
आँखें बोलें
हो लब पे ख़ामोशी
दूरियाँ कम कर दे
प्यार का अम्बर दे
ज़ुल्फ़ों का वो आसमन
बस आँखों पे मेरी हो तमाम
सुबह सुबह ये बात हो
नज़र मिले ज़रा ज़रा रात हो
खुले मौसम
तुम नज़र में रहो
ख़बर किसी को ना हो
आँखें बोलें
हो लब पे ख़ामोशी
हा आँखें बोलें
हो लब पे ख़ामोशी